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NAVRATRI 2020 | नवरात्र 2020

 NAVRATRI 2020 | नवरात्र 2020

नवरात्र 2020 : मित्रो , 2020 में पितृपक्ष के ख़तम हो जाने के पश्चात तुरंत नवरात्र शुरू नहीं होंगे अपतु वे देरी से शुरू होंगे|

पहले पितृपक्ष के ख़तम होते ही नवरात्र शुरू हो जाते थे और कलश के स्थापना के बाद 9 दिन के पवित्र नवरात्र का आरम्भ हो जाता था परन्तु साल 2020 में ऐसा नहीं होगा |

कारण क्या हैं ?

कारण है इस साल श्राद्ध ख़तम होते ही अधिक मास लग जायेगा ,जिसके फलस्वरूप नवरात्र पर्ब 25 दिन बाद मनाया जायेगा |

याद रखे, इस साल महीने अधिक मास लग रहा हैं जो लीप वर्ष के कारण हो रहा है |

पंडितो के अनुसार ,करीब 165 साल बाद ऐसा संयोग पड़ रहा हैं की श्राद्ध ख़तम होने के पश्चात नवरात्र आरम्भ नहीं हो पा रहे है |

श्राद्ध पक्ष 17 सितम्बर को ख़तम होगा ,18 सितम्बर से अधिक मास शुरू हो जायेगा और यह अधिक मास 16 अक्टूबर तक चलेगा |

17 अक्टूबर शनिवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो जायेगे |

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नवरात्री में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों शेल पुत्री ,ब्रह्मचारिणी   ,चंद्रघंटा ,कुष्मांडा ,स्कंदमाता ,कात्यायनी ,कालरात्रि ,महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है |

जैसा की आप जानते है ,1 साल में 4 नवरात्र के परब होते है | हिन्दू कैलेंडर हमें बताता है की चार नवरात्र आते है, दो गुप्त नवरात्र एवं चैत्र और शारदीय नवरात्र |

चैत्र मास की नवरात्र बड़ी और आश्विन मास की छोटी नवरात्र कहलाती है| आषाढ़ मास एवं पौष मास की नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है |


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गुप्त नवरात्र में दस महाविद्या की साधना की जाती हैं | तांत्रिक क्रिआएं ,शक्ति साधना , महाकाल पूजा विशेष महत्त्व रखतेहैं | इस दौरान माता भगवती के साधक व्रत और कड़ी साधना करते हैं |

इस दौरान बहुत से साधक साधना द्वारा शक्तियाँ प्राप्त करते हैं |

गुप्त नवरात्र के दुसरे दिन माता तारा के पूजा होती हैं | भक्तजन अपनी-अपनी कार्य सिद्धि हेतु माता का पूजन करते हैं |  चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी ही राम नवमी कहलाती हैं | इस दिन श्री रामचंद्र  का पूजन होता हैं | जिससे पूर्ण  आनन्द की प्राप्ति होती हैं |

इससे भक्त का जीवन भय मुक्त हो जाता हैं ,घर में सुख -शांति आती हैं |

राम नवमी की कथा -

राजा दशरथ के तीन विवाह विवाह हुए थे ,उनकी रानीया थी कौशल्या ,केकई और सुमित्रा | काफी समय तक राजा दशरथ संतान सुख से वंचित रहे ,फिर ऋषि -मुनिओ ने उन्हें सलाह पुत्रेष्टि यज्ञ करने की दी ,उन्होने यज्ञ किया और उन्हें जो प्रसादरुपी जो खीर प्राप्त हुई वह उन्होंने रानी कौशल्या को दे दी  रानी कौशल्या ने उस खीर का आधा हिस्सा कैकई को दे दियाऔर फिर रानी कौशल्या एवं  रानी कैकई ने अपने-अपने हिस्से से आधा हिस्से की खीर सबसे छोटी रानी सुमित्रा को दे दिया |

तत्पश्चात प्रभु किरपा से रानी कौशल्या की कोख से श्री राम ,रानी कैकई से भरत और रानी सुमित्रा के कोख से लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न का जनम हुआ|

 

 

 

 

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