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पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में महत्व: जानें कब, क्यों और कैसे करें श्राद्ध |

श्राद्ध पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है, जो प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक (16 दिन) मनाया जाता है। इस अवधि के दौरान पितरों को श्राद्ध अर्पित किया जाता है, ताकि वे प्रसन्न रहें और आशीर्वाद प्रदान करें।

श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इस अवधि में पितरों का स्मरण किया जाता है और उनके लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध भोज आदि कर्म किए जाते हैं, जिससे पितरों को तृप्ति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं।

हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस अवधि में पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिजनों के साथ रहते हैं। इसलिए, इस अवधि में पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और वे अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।


पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में महत्व: जानें कब, क्यों और कैसे करें श्राद्ध


श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध भोज आदि कर्म किए जाते हैं। पिंडदान में पितरों के लिए पत्तों पर आटा, चावल, तिल, जल, दूध आदि से बना भोजन रखा जाता है और फिर उसे पितरों को अर्पित किया जाता है। तर्पण में पितरों को जल, दूध, कुशा और तिल अर्पित किए जाते हैं। श्राद्ध भोज में पितरों के नाम पर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।

श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त किए गए कर्मों से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही, श्राद्ध कर्म करने से परिजनों को भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनका जीवन सुखमय होता है।

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**श्राद्ध पक्ष का महत्व हिंदू धर्म में:**

* पितरों को तृप्ति प्रदान करना और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में सहायता करना।

* पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना और अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करना।

* पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करना।

* परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करना।

* धार्मिक और सामाजिक कर्तव्यों का पालन करना।

**श्राद्ध पक्ष के दौरान क्या करें:**

* पितरों का स्मरण करें और उनके लिए प्रार्थना करें।

* पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध भोज आदि कर्म करें।

* ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।

* पितरों के नाम पर पौधे लगाएं और गाय को चारा खिलाएं।

* अहिंसा का पालन करें और सत्य बोलें।

**श्राद्ध पक्ष के दौरान क्या न करें:**

* मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।

* शोक न करें और न ही विलाप करें।

* मुंडन, विवाह आदि मांगलिक कार्य न करें।

* नया घर न बनाएं और न ही कोई नया कार्य शुरू करें।

* पितरों के नाम पर किसी को भी कष्ट न दें।

श्राद्ध पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है। इस अवधि के दौरान पितरों को श्राद्ध अर्पित किया जाता है, ताकि वे प्रसन्न रहें और आशीर्वाद प्रदान करें। श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध भोज आदि कर्म किए जाते हैं, जिससे पितरों को तृप्ति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं।


Q & A

Q:-  पितृ पक्ष मे पानी कैसे दिया जाता हैं ?

 A:- पितरों को जल देने की भी  खास विधि होती है. इसमें अंगूठे में कुशा लगाकर  जल दिया जाता है. हथेली के अंगूठे में कुशा लगाकर तर्पण कि या जाता ताकि  पितरों तक हमारी श्रद्धांजलि पहुंचे। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि, यह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है और अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. 

Q:- कौन कर सकता है पितरो का श्राद्ध ? 

A:- हिंदू धर्म के अनुसार, घर का मुखिया या प्रथम पुरुष अपने पितरों का श्राद्ध कर सकता है। अगर मुखिया नहीं है, तो घर का कोई अन्य पुरुष  भी अपने पितरों को जल चढ़ा सकता है। इसके अलावा पुत्र और नाती भी तर्पण कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार, पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए |

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