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Jai Shri Ram । जय श्री राम

 जय श्री राम : Jai Shri Ram



पाठको  सर्वप्रथम आपको  जय श्री राम : Jai Shri Ram
भगवान राम हर भारतीयों के हृदय में बसते हैं,  श्री राम भारत में ही नहीं पूरे विश्व में पूजे जाते हैं । श्री राम की विजय गाथा पूरी दुनिया जानती एवं मानती है । यह भगवान राम का ही व्यक्तित्व है, जिसने हर विश्व प्राणी के हृदय में अटूट छाप छोड़ी है । उनका जीवन, हमें उच्च जीवन जीने की कला सिखाता है एवं हर क्षेत्र में श्रेष्ठ करने को उत्साहित करता है । हम उन्हें पुरुषोत्तम नाम से भी संबोधित करते हैं, जिसका अर्थ होता है पूर्ण पुरुष अर्थात पुरुषों में उत्तम यानी श्रेष्ठ ।

भगवान राम ने ही एक पत्नी का सिद्धांत दुनिया को सिखाया, कि आप सब जानते हैं, पहले राजा की कई रानियां होती थी परंतु राम ने इसे नकारा एवं माता सीता को अपनी पत्नी स्वीकार करने के पश्चात किसी और राजकुमारी से विवाह नहीं किया, इतना ऊंचा था उनका आदर्श । 

बचपन से ही भगवान राम ईश्वर होने के प्रमाण कई घटनाओं के द्वारा आम जनों को दिए । बचपन से ही उन्होंने राक्षसों को मौत के घाट उतारा एवं ऋषि मुनियों की रक्षा की जो उनके अभूतपूर्व साहस की और  संकेत करते हैं । छोटी उम्र में ही भाई लक्ष्मण के साथ उन्होंने कई दुष्ट राक्षसों को मार कर पृथ्वी को उनके अत्याचार से मुक्त किया । 

अत्यंत शांत, मृदुभाषी, सुंदर ,अपने से छोटे के प्रति  स्नेह रखने वाले , बड़ो  का सदैव आदर करने वाले, माता-पिता की हर आज्ञा का पालन करने वाले श्री राम अद्भुत गुणों के मालिक, आदर के योग्य  एवं पूजनीय हैं ।


जय श्री राम
जय श्री राम 


अपनी सौतेली माता केकई जब अपने पुत्र भारत को राम के स्थान पर अयोध्या का राजा बनाने पर ड़ गई तो उन्होंने हंसते हंसते राज सिंहासन का त्याग किया एवं 14 वर्ष बनवास को अपने भाई लक्ष्मण एवं पत्नी सीता माता के साथ  जंगल मे गमन किया । यह उनकी महान संस्कार को ही दर्शाता है ।

कभी हार ना मानना,अहंकार मुक्त रहना , सदेव समभाव में रहना , अपनी मर्यादा में रहना ,अपने कहे गए वचनों पर दृढ़ रहना उनके वचन "प्राण जाये पर वचन ना जाये " हम मानवो  को सोच समझ कर वाणी के उपयोग करने की प्रेरणा देता हैं ,वाणी मे मधुरता उनकी श्रेष्ठ लक्षणों में एक था, संयम, बड़ों का आदर, हर कार्य में श्रेष्ठ , मृदु व्यवहार, युद्ध नीति में कुशलता, दुश्मन के प्रति सरलता उनके श्रेष्ठ गुणों को ही इंगित करता है ।

Jai Shri Ram
Jai Shri Ram

हजारों-लाखों साल पहले अवतरित हुए भगवान राम और उनकी जीवन की गाथा आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक है एवं उच्च सनातन परंपरा सिखाती है और हमारा मार्गदर्शन भी करती है । आज भी जब हम भारतीय आपस में मिलते हैं तो एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कहकर करते हैं, हमारे ऋषि-मुनियों ने हर काल में राम नाम की महिमा का उल्लेख बहुत से विवरणों में किया है ।

भगवान श्री राम ने मानव रूप में अवतार लेकर बहुत सी कुरीतियों, रूढ़िवादी विचारधारा का प्रतिरोध किया, माता शबरी के जूठे बेर खाकर ऊंच- नीच के भेद को मिटाया एवं जीवन में आए विभिन्न संकटों का सामना जिस नैतिकता, साहस ,संयम, मर्यादा एवं विनम्रता से किया वह अभूतपूर्व है ।

वानरों की सेना के साथ लंकापति रावण एवं उसकी विशाल सेना को मसल देना उनके श्रेष्ठ लीडरशिप के गुण को दिखलाता है ,अगर हमें लीडरशिप के गुण देखने हैं तो भगवान राम का जीवन बेहतरीन लीडरशिप के गुणों का व्याख्यान ही करता है । यह भी सिखाता है कि अगर आत्मविश्वास हो एवं अपने लीडर पर भरोसा हो तो  छोटीसंगठित सेना भी विशाल से विशाल सेना को धूल चटा सकती हैं ।

अपने भक्त हनुमान जी को उनकी शक्ति का एहसास करवाना उनके लीडरशिप के गुण का ही व्याख्यान करती है| भगवान राम का परिवार को एक रखने के लिए वन में जाना एवं अपने छोटे भाई भरत के लिए राजगद्दी छोड़ देना उनकी श्रेष्ठता को दर्शाता है । उनके अंदर किंचित मात्र लोभ का ना होना उनके महान व्यक्तित्व को दर्शाता है और यह दिखाता है की परिवार की महत्ता क्या है ।
 
राजा भरत द्वारा भाई के पादुका राजगद्दी पर रख देश का शासन संभालना भी यह दिखाता है की बड़े भाई के प्रति सम्मान, प्यार एवं विश्वास परिवार को एकजुट रखने में कितना महत्वपूर्ण रोल अदा करता है ।
इति 
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