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चीन-ताइवान

 चीन-ताइवान  

जो गरजते है वह बरसते नहीं | 


#China-Taiwan#

इन दिनों पूरा विश्व हैरत में और परेशान हैं -कारण हैं अचानक चीन - ताइवान आपस में भिड़ गए हैं ,कारण हैं ,नैंसी पिलोसि की ताइवान यात्रा | कम्युनिस्ट चीन ,रिपब्लिक ऑफ़ चीन( ताइवान ) को अपना ही हिस्सा मानता हैं पर प्रजातांत्रिक (डेमोक्रेटिक )ताइवान ऐसा नहीं मानता|  



Taiwan-President-Tsai Ing
                                                           

#चीन-ताइवान# 

हाल में अमेरिका के विधानसभा की मेंबर नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा के लिए हामी भरी ,जो चीन को रास    नहीं आई | उसने अमेरिका को धमकी दी की अगर ,नैन्सी पेलोसी ताइवान की यात्रा  करेगी तो उसके एयरक्राफ्ट को वह अपने जंगी विमान से गिरा देगा | अमेरिका जो विश्व पटल पर आज भी सुपरपॉवर का दर्जा रखता हैं उसके साख पर बन आई ,वैसे ही यूक्रेन-रूस  युद्ध में उसके गलत निर्णय ने ,अफगानिस्तान में भी उसके गलत निर्णय ने उसकी साख पर बट्टा लगा दिया था ,अब वह कोई गलती नहीं करना चाहता था ,इस कारण ,नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा हुई और चीन सिर्फ कोरी धमकियां देता रहा और यात्रा सफलता के साथ पूर्ण हुई | अब चीन अपनी गीदड़ भभकियों से खुद ही फंस गया हैं | अमेरिका का तो वह कुछ बिगाड़ नहीं पाया अपनी खीज उसने ताइवान पर उतारी अपने जंगी जहाजों से उसे घेरकर और उसे धमकाया  मिसाइल वर्षा कर | 

पर एक लोचा यहाँ भी हैं किसी मिसाइल ने ताइवान की भूमि पर अटैक नहीं किया उन्होंने पुरे ताइवान को क्रॉस किया और लैंडिंग समुंदर में की और हां, एक बात में कहना भूल गया चीन ने भारत को भी कोरी बड़ी-बड़ी धमकी भी दे दी हैं पर एक बात समझ से परे हैं की जब भारत को वह क्यों घसीट रहा हैं ,लगता हैं काफी डरता है चीन भारत से | 

गलवान को चीन के शासक और उसकी सेना कभी भूल नहीं पायेगी | इतना डरपोक हैं चीन के शासक की आज तक अपने मरे हुए सैनिको की संख्या तक नहीं बता पा  रहा इसे कहते हैं कागजी शेर ,एक और ऐसा कागजी शेर हैं, दक्षिण एशिया में जो कई सालो तक विश्व के देशो से यही कह कर की "हमारे पास भी एटम बम है " बड़ी-बड़ी डींगे मारता रहा, आजकल सुना हैं IMF के चक्कर लगा रहा हैं |

 अब तो ताइवान ने भी चीन को हड़का दिया हैं | उसने साफ़ कह  दिया हैं की वह मुकाबले के लिए तैयार हैं | अगर सही मायनो में देखा जाये चीन की किरकिरी इस घटना से विश्व पटल पर अच्छी खासी हुई हैं | जर्मनी ,अमेरिका  जहां ताइवान के साथ हैं वही रूस एवं पाकिस्तान चीन के साथ हैं ,रूस का चीन का साथ समझ तो आता हैं ,पाकिस्तान जैसे चीन के पिठू देश तो अपने माई -बाप यानि चीन  के सहारे जिंदगी गुजर-बसर जो करते हैं वह भला उनके विरुद्ध कैसे जा सकते हैं | पर एक बात इस घटनाक्रम से जरूर साफ़ साफ़ हो गई हैं की चीन में इतना दम तो आज भी नहीं हैं की वह अमेरिका के साथ डायरेक्ट कनफ्लिक्ट कर सके |

 चीन की अंदरूनी हालत दिन-प्रतिदिन विकट होते जा रहे हैं ,हाल में रियल एस्टेट चीन में औंधे मुँह गिर गया | कई जगहों पर सड़को पर टैंक घूमते नजर आये क्योंकि बैंको ने चीन की जनता की गाढ़ी कमाई उनके द्वारा लेने की कोशिश को मना  कर दिया फलस्वरूप जनता बैंको से अपने पैसे निकालने के लिए पहुँच गई, अब चीन के शासक एक ही भाषा जानते हैं वह हैं धमकियों की फिर चाहे कोई देश हो या अपने नागरिक तो  उन्होंने सड़को पर टैंक उतार दिए ,यह संकेत साफ़ इंगित कर रहे हैं चीन की बिगड़ी व्यवस्था के |  हाँ एक अटैक में चीन सबसे आगे हैं, क्या आप जानते हैं इसके बारे में ? वह हैं साइबर अटैक, मित्रो यही अटैक हैं जो चीन पूरे मोटिवेशन के साथ करता हैं क्योकि यह सुरक्षित ठिकानो पर बैठ  कर किया जा सकता है ,बिना किसी जोखिम के| मित्रो चीन की सेना तो लड़ना 1962 के बाद से चाहती ही नहीं हैं ,जबरदस्ती सेना में जनता की भागीदारी चाहोगे तो यही होगा | 

देखते हैं होता हैं क्या ? आगे-आगे | 


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