बॉलीवुड-बोये बीज बबूल का तो आम कहाँ से खाये|
बॉलीवुड-बोये बीज बबूल का तो आम कहाँ से खाये|
पतन की और बढ़ता हिंदी भारतीय फिल्म उद्योग |
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भारतीय फिल्म उद्योग भारत का कभी सबसे बड़ा बॉण्ड एम्बेस्डर रहा | आजादी के बाद ,भारत के विभाजन के उपरांत यह फिल्म उद्योग पाकिस्तान से आए बहुत से कलाकारों का आश्रय स्थल बना ,तब का बॉम्बे आज मुंबई इस फिल्म उद्योग की धुरी बनी | ,जिसे हम आज कहते हैं बॉलीवुड जो हिंदी फिल्म निर्माण की भारत की धूरी हैं |
भारत की जनता ने कलाकारों की धर्म ,मजहब ,जाति , नॅशनलिटी भूलकर अच्छे अभिनेताओं ,संगीतकारों ,गीतकारो और फिल्म निर्माण से जुड़े हर क्षेत्र के लोगो को दिल से लगाया उन्हें उनके अच्छे कार्यो के लिए प्रोत्साहित किया ,उन्हें आम इंसान से उठाकर स्टार ,सुपरस्टार बनाया उन्हें वह इज़्ज़त दी जिनकी शायद उन्हें अपेक्षा तक नहीं थी |
शुरुआत में फिल्म उद्योग ने भारतीय दर्शको की अपेक्षा के अनुरूप अलग-अलग टॉपिक,स्ट्रांग स्टोरी लाइन पर आधारित फिल्मे की जिन्होंने सफलता के बड़े-बड़े कीर्तिमान स्थापित किये | बॉलीवुड में एक जमाना था देश भक्ति से ओत -प्रोत फिल्मो का ,साफ़-सुथरी फिल्मो का ,देश में उभरती सामाजिक समस्याओ पर आधारित फिल्मो का ,देश के दुश्मनो से सावधान करती फिल्मो का |
देश में अगर कोई समस्या आती तो बॉलीवुड के लोग भारतीय जनता के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर ,सरकार को प्रेरित कर देशवासियो के साथ उसके निदान को जुट जाते थे |बॉलीवुड में नागरिको के धर्म का आदर,संस्कृति का सम्मान,आपसी विश्वास सर्वोपरि होता था ,हमारी सेना के प्रति बॉलीवुड पूर्ण रूप से समर्पित था ,उनका सेना के प्रति आदर ,विश्वास उनकी फिल्मो में दीखता था|
पर आहिस्ते -आहिस्ते बॉलीवुड में मानसिक रूप से दिवालिये ,भारत विरोधी एजेंडे दिमाग में लिए,सनातन के प्रति द्वेष भाव रखने वालो लोगो का प्रवेश हुआ ,उन्होंने अपनी फिल्मो से धर्म का अनादर शुरू किया ,समाज में व्याप्त एकता,प्रेम पे प्रहार शुरू कर दिया इतना ही नहीं देश की प्रेस्टीजियस इंस्टीटूशन पर प्रहार शुरू कर दिया ,दुसरे धर्मो के प्रति घृणा ,अनादर अपनी फिल्मो में दिखाना शरू कर दिया |
यह थी बॉलीवुड के पतन की शुरुआत | भारतीय जनता खास कर बहुसंख्यक जनता अपना अपमान फिल्मो में देखती रही और उनका सब्र का बांध टूटने लगा ,बॉलीवुड के बहुत अभिनेता ,राइटर डायरेक्टर,फिल्म निर्माण के अलग-अलग क्षेत्रों के दिगज्ज पैसे,घमंड में में इतने चूर हो गए की वह एक बाजार की साधारण पर महत्वपूर्ण बात भूल गए की "कस्टमर इज किंग यानि ग्राहक ही राजा हैं " और वे यह बात भूल गए की भारतीय जनता अपने आराध्य ,देश,सेना और अपनी संस्कृति से अगाध प्रेम करती हैं|
इन कुंठित मानसिकता से भरे लोगो ने दर्शको के विश्वास को तोडना जो शरू किया वह समय के साथ बढ़ता चला गया और लोगो का सब्र का बांध टूटने लगा| आज जो लोगो का गुस्सा ,आक्रोश एक्टर्स के बॉयकॉट के रूप में, फिल्मो के बॉयकॉट के रूप में सबके सामने हैं यह इन्ही कारणों का प्रतिफल हैं |
वे भूल गए की बोये बीज बबूल का तो आम कहा से खाये |
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