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Padmanabhaswamy temple

भारत को संस्कृति, धरोहर और धार्मिक स्थलों का देश माना जाता है और यहां कई प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर स्थित हैं। एक ऐसा प्रमुख मंदिर है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर  (Padmanabhaswamy temple), जो भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है और केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में स्थित है। यह मंदिर न केवल अपनी साहसिक स्थान स्थापना और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता के लिए भी प्रसिद्ध है।


मंदिर का स्थान और विभिन्न नाम 

Padmanabhaswamy temple  तिरुवनंतपुरम के एक शीर्ष पर्वतीय छोटे से छोटे हिल के शीर्ष पर स्थित है। यह मंदिर विष्णु भगवान श्री पद्मनाभस्वामी को समर्पित है, जिन्हें "अनंत" और "पद्मनाभ" के नामों से भी जाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास विशाल और प्राचीन है, और यह समय के साथ विविध संस्कृतियों और सम्राटों के अधीन बदलता रहा है।


Padmanabhaswamy temple


मंदिर का मुख्य गोपुरम सागर शैली में बना है और इसका निर्माण ड्रविड़ शैली में हुआ है। मंदिर के अंदर एक विशाल और आकर्षक मुक्तिमंदप भी है, जिसमें कई भगवान विष्णु की मूर्तियां स्थापित हैं। यहां का सबसे खास और चमत्कारिक विशेषता यह है कि भगवान श्री पद्मनाभस्वामी की मूर्ति सोने के 12 अंगूठो  और कानों के साथ बनी हुई है, जिसका दर्शन विशेष पूजा के समय ही होता है।

मंदिर के इतिहास में एक रोचक और महत्वपूर्ण घटना थी जब इसे त्रवणकोर राजा भारतीय महाराजा चितिर थिरुनाल बादशाह ने 18वीं शताब्दी में अपने साम्राज्य की राजधानी स्थान बनाया था। बाद में त्रवणकोर सम्राट अनीज्जेरी रवर्मा ने इस मंदिर का स्वामित्व लिया और उसके बाद यह मंदिर त्रवणकोर राजवंश के शासन के अधीन आया। यह मंदिर ब्रिटिश शासनकाल में भी विवादों में घिरा रहा, लेकिन बाद में भारत स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद इसे संरक्षित किया गया और आज यह भारत सरकार द्वारा संचालित हो रहा है।

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 Padmanabhaswamy temple के पीछे का इतिहास

8वीं शताब्दी का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के 108 मंदिरों में से एक है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु फन वाले अनंत नाग पर विराजमान थे। राजा मार्तंड वर्मा के समय में इस मंदिर का बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार हुआ था। 

श्री अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम के पझावंगडी में पूर्वी किले में स्थित है। यह भगवान श्री विष्णु का मंदिर है जो एक प्राचीन संरचना है जिसे श्रीमद्भागवत के अनुसार बलराम ने भी देखा था। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और पद्म पुराण जैसे महाकाव्यों और पुराणों में भी मिलता है। प्राचीन धर्मग्रंथों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 5000 साल पहले हुआ था, लेकिन इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है। मंदिर के पास पद्म तीर्थधाम नामक एक पवित्र तालाब है जिसका अर्थ है कमल का झरना|

अनार्थ देश में दिवाकर मुनि नामक एक महान विष्णु भक्त रहते थे, वे निरंतर अपने दैनिक अनुष्ठान और पूजा करते थे। एक दिन, मुनि ने अपने आश्रम के पास एक छोटे लड़के को देखा और इतने मोहित हो गए कि उन्होंने लड़के से अपने साथ रहने का अनुरोध किया। लड़का इस शर्त पर राजी हुआ कि उसका अपमान कभी नहीं किया जाएगा।

Padmanabhaswamy temple


मुनि इस बालक की बचकानी हरकतों को धैर्यपूर्वक सहन करते थे। लेकिन एक दिन जब मुनि पूजा कर रहे थे, तो लड़के ने शालग्राम ले लिया, जिस पर मुनि प्रार्थना करते थे और उसे अपने मुंह में रख लिया और उसे अपवित्र कर दिया, जिस पर मुनि क्रोधित हो गए और उन्होंने लड़के को दंडित किया और लड़के को तुरंत जगह छोड़ने के लिए कहा। जाते समय लड़के ने मुनि से कहा कि अगर वह उससे मिलना चाहता है तो अनंतनकाडु आएँ।

थोड़ी देर बाद, मुनि को एहसास हुआ कि वह लड़का स्वयं भगवान विष्णु हैं, जिन्होंने 'दिव्य दर्शनम' के साथ उन्हें आशीर्वाद देने की उनकी प्रार्थना का जवाब दिया। फिर मुनि जो उस लड़के की तलाश में निकल गए, अंततः अनंतनकाडु में आए और देखा कि लड़का एक इलुप्पा पेड़ में विलीन हो रहा है और पेड़ नीचे गिर रहा है और एक विशाल विष्णु मूर्ति के रूप में उभर रहा है। मूर्ति इतनी विशाल थी कि उसका सिर तिरुवल्लम में था, जो पूर्वी किले से तीन मील दूर है और पैर त्रिप्पापुर में थे, जो उस स्थान से उत्तर की ओर पांच मील की दूरी पर है।

तब मुनि ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे उन्हें देखने लायक आकार में छोटा कर लें, और  मूर्ति 18 फीट आकार छोटी हो गई  फिर मुनि ने कुछ कच्चे आम चढ़ाये जो उन्हें नारियल के खोल में रखकर पास के किसी स्थान से मिले थे। यह चढ़ावा आज भी इस मंदिर में एक प्रथा के रूप में जारी है।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के विभिन्न परिवर्तनों और नवीनीकरण के बावजूद, इसके विशाल और अद्भुत स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा है। मंदिर की भव्य आर्किटेक्चर, विशाल स्थल, धार्मिक रीति-रिवाज और प्राचीन संस्कृति ने यहां पहुंचने वाले लोगों को अपनी शक्ति और शांति का अनुभव कराता है।

इस मंदिर में हर साल विभिन्न पूजा और उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु भाग लेते हैं। तीर्थयात्रियों के लिए यह मंदिर एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव का स्थल है, जो उन्हें अपने आत्मा के साथ संयोग कराता  है।


 निष्कर्ष 

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में से एक है, जो उत्कृष्टता, ऐतिहासिक महत्व और धार्मिकता का प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति और धरोहर का महत्वपूर्ण स्थान है और समय के साथ यह अपने अद्भुतता और सुंदरता के लिए जाना जाता है।

नोट: 

इस लेख में दिए गए जानकारी का उद्देश्य Padmanabhaswamy temple  के बारे में सामान्य ज्ञान प्रदान करना है और यह सूचनात्मक है। यदि आप इस मंदिर को यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो कृपया स्थानीय प्रशासन या संबंधित अधिकारियों से अधिक जानकारी प्राप्त करें।

Q&A

1. केरल का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा हैं ?

Answer- केरल का सबसे बड़ा मंदिर श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर हैं |

 2.श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर मे कितने दरवाजे हैं ?

Answer- 7.

3. श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर  का खजाना कितना हैं ?

 Answer- 2011 मे कैग की निगरानी मे मंदिर से 1 लाख करोड़ मूल्य का खजाना निकाला जा चूका हैं | अभी मंदिर का एक तहखाना खुलना बाकि हैं |


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